जीवन में मुश्किलें तो आती ही रहती हैं, लेकिन उनसे हार मानना सही नहीं है। यह कहानी एक प्यासे कौवे की है, जिसने अपने बुद्धिमानी और धैर्य से अपने समस्या का समाधान निकाला। यह कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किल परिस्थितियों में भी हमें हार नहीं माननी चाहिए और सोच-समझकर सही कदम उठाने चाहिए।
प्यासे कौवे की कहानी
एक गर्मी की चिलचिलाती दोपहर में, एक प्यासा कौवा पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। उसे काफी देर तक कहीं भी पानी नहीं मिला, और उसकी प्यास और भी बढ़ती जा रही थी। उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि उसे लगने लगा कि वह अब नहीं बच पाएगा। तभी, उसे एक घड़ा दिखा।
उसे देखकर कौवा थोड़ी राहत महसूस करने लगा और हिम्मत जुटाकर उस घड़े के पास पहुंचा। लेकिन उसकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी क्योंकि घड़े में पानी तो था, परंतु इतना कम कि उसकी चोंच वहां तक नहीं पहुंच सकती थी। कौवे ने हर संभव कोशिश की, लेकिन वह पानी पीने में असफल रहा।
अब वह पहले से भी अधिक निराश हो गया। लेकिन तभी उसकी नजर घड़े के आसपास बिखरे हुए कंकड़ों पर पड़ी। कंकड़ों को देखकर उसके मन में एक उपाय आया। उसने सोचा कि अगर वह कंकड़ों को एक-एक करके घड़े में डाल दे, तो पानी ऊपर आ जाएगा।
कौवे ने अपनी योजना पर अमल करना शुरू किया। उसने एक-एक करके कंकड़ों को घड़े में डालना शुरू किया। धीरे-धीरे, कंकड़ों की वजह से पानी का स्तर ऊपर आने लगा। काफी मेहनत के बाद, पानी इतना ऊपर आ गया कि उसकी चोंच पानी तक पहुंच गई। कौवे ने जी भरकर पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई।
कहानी से प्राप्त शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। मेहनत और धैर्य के साथ काम करने से ही सफलता मिलती है। जो व्यक्ति सोच-समझकर और मेहनत से काम करता है, वह अवश्य ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
- प्रश्न: कौवे को पानी क्यों नहीं मिला?
उत्तर: कौवा काफी समय से उड़ रहा था और उसकी तलाश में कहीं भी पानी नहीं मिला। - प्रश्न: कौवे ने पानी के लिए क्या किया?
उत्तर: कौवे ने घड़े में कंकड़ डालकर पानी का स्तर ऊपर लाया और फिर पानी पिया। - प्रश्न: कौवे को किस परिस्थिति का सामना करना पड़ा?
उत्तर: कौवे को प्यास और पानी की कमी का सामना करना पड़ा। - प्रश्न: कौवे ने किस तरकीब से पानी पीया?
उत्तर: उसने कंकड़ों को घड़े में डालकर पानी का स्तर ऊपर लाया और फिर अपनी चोंच से पानी पीया। - प्रश्न: इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी कठिन परिस्थिति में हमें हार नहीं माननी चाहिए और समझदारी से काम लेना चाहिए।