नमस्कार मित्रों आज हम आपके लिए चिड़िया और एक राजा की कहानी लेकर आए हैं चिड़िया की एक चार बातें आपको जरूर सुनाई चाहिए।
चिड़िया और राजा की एक सीख की कहानी
किसी समय की बात है, एक विशाल और सुन्दर राज्य में एक नेकदिल राजा राज्य करता था। उस महल के अंदर एक रमणीय बगीचा था, जिसमें एक हरी-भरी बेल पर मीठे अंगूर लगे थे। हर दिन एक छोटी सी चिड़िया आती, और सबसे मीठे अंगूरों को खा जाती। अधपके और खट्टे अंगूर नीचे गिरा देती थी।
राजमहल का माली चिड़िया को कई बार पकड़ने की कोशिश करता, पर हर बार असफल हो जाता। आखिरकार उसने हताश होकर राजा को इस समस्या के बारे में बताया। राजा को यह सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ और उसने चिड़िया को सबक सिखाने का निर्णय लिया।
अगली सुबह, राजा खुद बगीचे में छिपकर बैठ गया। जैसे ही चिड़िया आई और अंगूरों पर चोंच मारने लगी, राजा ने तेजी से हाथ बढ़ाया और चिड़िया को पकड़ लिया। चिड़िया ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन असफल रही। राजा ने कहा, “अब मैं तुम्हें सजा दूंगा।”
चिड़िया ने कांपते हुए कहा, “हे महान राजा, मुझे मत मारो। मैं आपको चार महत्वपूर्ण ज्ञान की बातें बताऊंगी, जिनसे आपका जीवन और भी बुद्धिमान हो जाएगा।”
राजा ने रुचि दिखाते हुए कहा, “जल्दी बताओ।”
चिड़िया ने कहना शुरू किया, “पहली बात, हाथ में आए शत्रु को कभी मत छोड़ो।” राजा ने सिर हिलाया और कहा, “दूसरी बात?”
चिड़िया ने कहा, “दूसरी बात, असंभव बातों पर कभी विश्वास मत करो।” राजा ने कहा, “और तीसरी?”
चिड़िया ने कहा, “तीसरी बात, बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो।”
राजा ने उत्सुकता से कहा, “अब चौथी बात भी बता दो।”
चिड़िया ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “चौथी बात बहुत गहरी और रहस्यमयी है। मुझे थोड़ा ढीला छोड़ दो ताकि मैं ठीक से सांस ले सकूं और आपको बता सकूं।”
राजा ने थोड़ी दया दिखाते हुए अपनी पकड़ ढीली की। चिड़िया तुरंत उड़कर एक पेड़ की ऊंची डाल पर बैठ गई और हंसते हुए बोली, “मेरे पेट में दो हीरे हैं।”
यह सुनकर राजा का चेहरा उतर गया और वह पछतावे में डूब गया। चिड़िया ने हंसते हुए कहा, “हे राजन, ज्ञान की बात सुनने से नहीं, उसे अमल में लाने से लाभ होता है। आपने मेरी बातों को सुना, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया।”
चिड़िया ने आगे कहा, “मैं आपकी शत्रु थी, फिर भी आपने मुझे पकड़कर छोड़ दिया। मैंने असंभव बात कही कि मेरे पेट में दो हीरे हैं और आपने उस पर भरोसा कर लिया। अब आप उन काल्पनिक हीरों के लिए पछता रहे हैं, जो कभी थे ही नहीं।”
राजा ने सिर झुकाकर चिड़िया की बातों को समझा। उसने महसूस किया कि जीवन में सिर्फ ज्ञान का होना पर्याप्त नहीं है, उसे सही समय पर लागू करना भी आवश्यक है। उस दिन से राजा ने निर्णय लिया कि वह हर सीख को ध्यान से सुनेगा और उसे अपने जीवन में उतारेगा।
इस घटना के बाद, राजा ने अपने राज्य को और भी बेहतर तरीके से चलाना शुरू किया और उसकी बुद्धिमानी और न्यायप्रियता की दूर-दूर तक चर्चा होने लगी। चिड़िया ने भी कभी उस बगीचे की ओर रुख नहीं किया, लेकिन उसकी बातें हमेशा राजा के मन में गूंजती रहीं, उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रहीं।