यह कहानी एक गाँव के मोहन पहलवान की है, जिसके पास केवल पाँच भैंसे थीं। मोहन अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करता है, लेकिन अपने साहस और बुद्धिमत्ता से वह उन्हें अवसरों में बदल देता है।
भूत की कहानी : भाग्य वाले का भूत हल जोतता है
एक सुदूर गाँव में मोहन नाम का एक पहलवान रहता था। उसकी दिनचर्या भैंसों की देखभाल और उनका दूध पीने में ही गुजरती थी। मोहन की हृष्ट-पुष्ट काया और शक्तिशाली शरीर के कारण गाँव के लोग उससे डरते थे।
मोहन की उम्र बढ़ रही थी और उसे अपनी शादी की चिंता सताने लगी थी। वह अक्सर लोगों से पूछता था कि उसकी शादी कब और किससे होगी, लेकिन लोग डर के मारे जवाब नहीं देते थे। मोहन ने उनकी चुप्पी का जवाब मारपीट से दिया, जिससे लोग उससे और भी डरने लगे।
एक दिन, दूसरे गाँव से एक ब्राह्मण और एक चालाक व्यक्ति किसी विवाह समारोह में जा रहे थे। मोहन ने उन्हें रोककर अपनी शादी के बारे में पूछा। चालाक व्यक्ति ने दूर एक ताड़ के पेड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि वहीं उसकी शादी होगी। मोहन यह सुनकर खुश हो गया और उसने अपनी पाँच भैंसें उन्हें दान में दे दीं। वह ताड़ के पेड़ की दिशा में चल पड़ा।
ताड़ के पेड़ के पास एक औरत अपने पति और बच्चे के साथ रहती थी। उसका पति धूर्त और आलसी था। जब मोहन वहाँ पहुँचा, तो वह औरत घर के बाहर निकली। मोहन लड़खड़ाकर गिर पड़ा और उसका हाथ औरत के गाल पर लग गया। औरत ने मोहन को अपने घर में अतिथि कक्ष में बैठाया और उसे जलपान कराया। थोड़ी देर बाद, औरत का पति वहाँ पहुँचा और उसने गुस्से में मोहन से पूछा कि वह कौन है।
मोहन के जवाब से औरत का पति और भी क्रोधित हो गया और उसने मोहन पर हमला कर दिया। मोहन ने अपनी लोहे की छड़ से उसके सिर पर वार किया, जिससे वह वहीं मर गया। यह देखकर औरत रोने लगी। मोहन जाने लगा, लेकिन औरत ने उसे रोक लिया और कहा कि अब उसके पति के बिना उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है। इसलिए, मोहन वहीं रहने लगा।
कुछ दिनों बाद, जब घर का राशन खत्म होने लगा, तो औरत ने मोहन से कहा कि वह राजा से खेती के लिए जमीन मांग ले। मोहन अपने लोहे की छड़ के साथ राजमहल की ओर चल पड़ा। राजमहल के द्वारपाल और सैनिक उसकी काया देखकर डर गए और राजा को सूचना दी। राजा ने अपने मुंशी को मोहन से उसकी मांग जानने भेजा। मोहन ने खेती के लिए जमीन मांगी। राजा ने उसे जमीन देने का आदेश दिया, लेकिन मुंशी ने अधिकांश जमीन अपने पास रख ली और मोहन को कब्रिस्तान के पास बंजर जमीन का टुकड़ा दे दिया।
मोहन ने उस बंजर जमीन पर खेती शुरू की, लेकिन पीपल के पेड़ के कारण उसे परेशानी हुई। उसने पेड़ को उखाड़ने का फैसला किया और अपनी छड़ से प्रहार किया। पेड़ से 150 भूत नीचे गिर गए और मोहन से लड़ने लगे। मोहन ने उन्हें हरा दिया। भूतों ने उससे पेड़ न काटने की गुजारिश की और वादा किया कि वे उसके खेतों में काम करेंगे। मोहन ने उनकी बात मान ली।
कुछ समय बाद, भूतों का गुरु आया और उनकी हालत देखकर मोहन से बदला लेने का फैसला किया। वह बिल्ली का रूप धारण कर मोहन पर हमला करने गया। लेकिन मोहन ने बिल्ली पर प्रहार कर दिया। बिल्ली के रूप में भूतों का गुरु घायल हो गया और उसने मोहन से माफी मांगी। मोहन ने उसे छोड़ दिया, लेकिन बदले में राशन की मात्रा दोगुनी करने की शर्त रखी।
भूतों के गुरु ने वादा किया और उसके बाद से मोहन के घर दोगुना राशन आने लगा।
कहानी से शिक्षा
अगर आपका भाग्य बलवान हो तो विपत्तियां भी अवसर में बदल सकती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- मोहन ने अपनी शादी के बारे में किससे पूछा?
- मोहन ने ब्राह्मण और चालाक व्यक्ति से अपनी शादी के बारे में पूछा।
- मोहन ने ताड़ के पेड़ के पास किससे मुलाकात की?
- मोहन ने ताड़ के पेड़ के पास एक औरत से मुलाकात की।
- मोहन ने राजा से क्या मांगा?
- मोहन ने राजा से खेती के लिए जमीन मांगी।
- मोहन ने पेड़ को क्यों उखाड़ने का फैसला किया?
- मोहन ने पेड़ को उखाड़ने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह खेती में बाधा डाल रहा था।
- भूतों के गुरु ने मोहन से क्या वादा किया?
- भूतों के गुरु ने मोहन से वादा किया कि वे दोगुना राशन भेजेंगे।