दोस्तों श्री कृष्ण कहते हैं, इन पांच पेड़ पौधों के कारण आती हैं गरीबी, मित्रो एक समय की बात है, जब भगवान श्री कृष्ण के मित्र उनसे मिलने के लिए द्वारका नगरी पधारते हैं, तब भगवान श्री कृष्ण उनका स्वागत करते हैं और उनके आने का कारण पूछते हैं। फिर भगवान श्री कृष्ण के सखा उनसे कहते हैं, हे केशव तुम तो सर्वज्ञ हो, सब कुछ जानते हो फिर भी हमसे कारण पूछते हो?
आज मैं तुम्हारे पास यह जानने के उद्देश्य से आया हूँ कि मनुष्य को किन किन वृक्षों का रोपण करना चाहिए और कौन से वृक्ष भवन के सामने लगाने चाहिए और। किन वृक्षों का रोपण करने से दरिद्रता दूर होती है तथा शत्रु रोग भय भूत पिशाच आदि संकटों से बचने के लिए कौन से वृक्ष भवन की सीमा में लगाने चाहिए?
तब भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं कि सखा तुमने आज समस्त मानव जाति के कल्याण के उद्देश्य से बहुत ही अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न किया है। इसलिए मैं तुमको एक छोटी सी कथा के माध्यम से बताऊँगा की वृक्षों का तथा पेड़ पौधों का भवन के पास लगाना कितना शुभ होता है, और कौन से पौधे भवन के पास लगाने से दुख एवं दरिद्रता आती है। जो भी मनुष्य इस कथा का ध्यान से श्रवण करता है, उसके सैकड़ों पाप नष्ट हो जाते है और उसकी दरिद्रता का नाश होता है। फिर भगवान श्री कृष्ण का सखा कहता है, हे केशव मैं इस कथा को अवश्य ध्यान से पूरा सुनूँगा, कृपया मुझे वह कथा सुनाये।
फिर भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, सखा पूर्व काल की बात है। मध्य देश में एक अत्यंत शोभायमान नगरी थी। उस नगरी में सुधीर नाम का वैश्य अपनी पत्नी मोहिनी के साथ निवास करता था। सुधीर भगवान विष्णु का भक्त था और वह नित्य भगवान विष्णु की पूजा करता था। सुधीर की पत्नी भी सुशील और गृह कार्य में दक्ष थी। घर में धन धाम्य की कोई कमी नहीं थी। भगवान की कृपा से उसके पास सब कुछ था। इस प्रकार से अनेक दिन बीत जाने के पश्चात सुधीर की जो पत्नी थी, जिसका नाम मोहिनी था, उसने अपने आंगन में कुछ वृक्षों का रोपण किया। और नित्य उन वृक्षों को जल चढ़ाकर उनकी सेवा करने लगी।
किन्तु सुधीर की पत्नी को वृक्ष रोपण का ज्ञान नहीं था। उसे जो वृक्ष प्रिय लगे उन्हीं वृक्षों का रोपण उसने किया। जो वृक्ष अशुभ होते हैं, उन्हीं वृक्षों का भी रोपण उसने अपने घर के आंगन में कर दिया। जीस कारण से उस वैश्य सुधीर को व्यापार में काफी सारा घाटा होने लगा। उसके घर में रोज़ कलह होने लगा। पति पत्नी में बार बार क्लेश होने लगे। उन दोनों के जीवन में अनेक कठिनाइयां आने लगी। फिर सुधीर का सारा व्यापार डूब गया और उसका सारा धन भी नष्ट हो गया। अब सुधीर के पास अनाज भी खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। वे भूखे ही रहने लगे, जिससे क्रोधित होकर उसकी पत्नी भी गुस्सा करने लगी और वह अपने पति को कोई काम करने के लिए कहती।
फिर सुधीर काम मांगने के लिए गांव में घूमने लगा, लेकिन उसे कहीं पर भी काम नहीं मिलता था। फिर उसने अपने घर आकर अपनी पत्नी से कहा मुझे तो कोई भी काम नहीं दे रहा है। अब मैं कहा पर काम खोजने जाऊ। वे दोनों ही पूरी तरह हताश होकर सोच में पड़ गए। फिर सुधीर ने अपनी पत्नी के सारे गहने भी बेच डाले और जो कुछ भी अन्न मिला उसी से पेट भर लिया। दोस्तों इस प्रकार से अशुभ वृक्ष लगाने के कारण दोनों के ही जीवन में घोर दरिद्रता और संकट आने लगे। किन्तु वे दोनों ही इस बात को नहीं जानते थे। फिर 1 दिन एक साधु महात्मा सुधीर के घर पर पधारते हैं और उन्हें देखकर सुधीर उन्हें प्रणाम करता है और कहता है। हे साधु महाराज पधारिये इस गरीब के घर में आपका स्वागत है। कहिये मैं आपकी किस प्रकार से सहायता कर सकता हूँ?
फिर वे साधु महाराज कहने लगते है, हे महोदय में तीर्थ यात्रा पर निकला हूँ, विश्राम करने के लिए कोई जगह खोज रहा हूँ, यदि आपको कोई कष्ट ना हो तो मुझे अपने घर में स्थान दे दो।मैं अनेक दिनों से भूखा हूँ। कुछ भोजन भी प्राप्त हो जाए तो बड़ी कृपा होगी। तब साधु महाराज के ऐसे वचन सुनकर वह सुधीर कहने लगा, ये साधु महात्मा आप अवश्य ही कोई पुण्यात्मा दिखाई पड़ते हैं, आपके मुख मंडल पर बहुत तेज़ है। आपकी सेवा करने का मुझे सौभाग्य मिल रहा है। आपकी सेवा करके मुझे बड़ा आनंद मिलेगा। कृपा करके आप घर के भीतर चलिए। फिर वह साधु महाराज उस सुधीर के घर के भीतर जाते हैं और विश्राम करने लगते हैं और सुधीर उन साधु महाराज की बड़ी सेवा करता है, किंतु उसके पास अन्न का एक दाना नहीं होता है।
फिर वह अपनी पत्नी से कहता है कि प्रिय आज हमारे घर पर जो साधु महात्मा आये हैं वे बड़े पुण्यवान दिखाई पड़ रहे हैं। हमें उनके भोजन के लिए कुछ उपाय करना चाहिए। मैं गांव में जाकर किसी से थोड़ा सा धन मांगकर लाता हूँ। इतना कहकर वह सुधीर गांव में एक सेठ के घर पर जाता है और उस सेठ से थोड़ा सा पैसे देने की विनती करता है। किन्तु वह सेठ उस वैश्य को पैसे देने से इंकार करता है और कहता है तुम्हारे पास तो फूटी कौड़ी नहीं है, तुम मेरा पैसे कैसे वापस करोगे?
तब सुधीर कहता है, हे सेठ कृपा करके आप मुझे कुछ रुपए दीजिये, मैं जल्दी ही आपको लौटा दूंगा और यदि मैं रुपए नहीं लौटा पाया तो आप मेरा घर ले लीजियेगा। सुधीर की बात सुनकर उस सेठ को उस पर थोड़ी दया आती है और वह उसे रुपए देते हुए कहता है कि वैश्य यदि तुमने रुपए नहीं लौटाया तो तुम स्वयं ही मुझे अपना घर सौप देना। तब सुधीर कहता है मैं वचन देता हूँ, यदि मैंने रुपए नहीं लौटाया तो मैं आपको मेरा घर सौक दूंगा। फिर सुधीर उस सेठ से रुपए लेकर बाजार से दूध, चावल, आटा, सब्जी, शक्कर आदि चीजें खरीद लेता है और लौट कर अपने घर आ जाता है। और अपनी पत्नी से कहता है, हे प्रिय तुम उन साधु महात्मा के लिए भोजन बनाओ। तब सुधीर की पत्नी भोजन बनाती है और उन साधु महात्मा को भोजन परोसती है।
इस प्रकार से उस सुधीर की भक्ति और निष्ठा को देखकर वे साधु महाराज बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और भोजन हो जाने के पश्चात वे जाते जाते उस सुधीर से कहते हैं। हे वैश्य मैं तुम्हारी भक्ति और आदर सम्मान से अत्यंत प्रसन्न हूँ, तुम्हारी जो भी कामना है मुझे बताओ, मैं अवश्य पूरी करूँगा तब। सुधीर कहता है, हे महात्मा, आपका आशीर्वाद ही हमारे लिए सब कुछ है। किन्तु मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ की किस पाप के कारण मुझे दरिद्रता का दुःख भोगना पड़ रहा है?
हमने तो भगवान विष्णु की भक्ति की है फिर हमारे जीवन में दरिद्रता क्यों आई है? इसका क्या कारण है और इस दरिद्रता को दूर करने के लिए मुझे क्या उपाय करना चाहिए? फिर वह साधु महात्मा कहते हैं कि, वैश्य मैं जब तुम्हारे द्वार पर आ गया था तभी मुझे यह ज्ञात हो गया था कि तुम्हारे जीवन में दरिद्रता और संकट आए हुए हैं। क्योंकि तुम्हारे भवन के सामने जो वृक्ष है, वे ही तुम्हारी दरिद्रता के कारण है, इसीलिए तुम इन वृक्षों को हटाकर उनके स्थान पर शुभ पौधों का रोपण करो। तुम्हारी पत्नी ने तुम्हारे भवन के सामने जिन वृक्षों का अनजान में रोपण किया है, वे अशुभ वृक्ष है, उन्हीं के कारण से तुम्हारी ऐसी दुर्दशा हुई है। फिर सुधीर कहते हैं कि महात्मा कृपा करके मुझे बताइए कि घर के सामने कौन से वृक्ष लगाने चाहिए, जिससे घर में सुख समृद्धि हो और कौन से वृक्ष नहीं लगाने चाहिए?
कृपा करके आप मुझे विस्तार से समझाइए। मैं आपका बड़ा आभारी रहूंगा। फिर वह साधु महात्मा कहते हैं। अब मैं तुम्हें उन शुभ वृक्षों के विषय में बताता हूँ जिन्हें घर के पास लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसीलिए तुम ध्यानपूर्वक सुनो। हे वैश्य किसी जलाशय के समीप का वृक्ष लगाने वाले मनुष्य को जो फल मिलता है, वह सैकड़ों यज्ञों के समान होता है। जब पीपल के पत्ते उस जलाशय में गिरते हैं तो वे पिंड के समान होकर पितरों को तृप्ति प्रदान करते हैं। इससे सभी प्रकार के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं। जो मनुष्य नित्य स्नान करके पीपल को स्पर्श करता है, वह सभी पापों से मुक्त होता है और कभी पराजित नहीं होता है।
पीपल को स्पर्श करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और उसकी प्रदक्षिणा करने से आयु में वृद्धि होती है। पीपल की जड़ में श्री विष्णु, तने में शिवजी और अग्रभाग में ब्रह्मा जी स्थित रहते है।अमावस्या के दिन पीपल को प्रणाम करने से जो फल मिलता है, वह 1000 गाय के दान के बराबर होता है। इस संसार में पीपल के समान कोई वृक्ष नहीं है। साक्षात श्री हरि इस वृक्ष के रूप में पृथ्वी पर विराजमान है। इसलिए पीपल के वृक्ष को चोट पहुंचाना अथवा उसकी टहनी तोड़ना महापाप माना गया है। ऐसा मनुष्य एक कल्प तक नरक में रहता है और जो पीपल को जड़ से काटता है, उसका कभी नरक से उद्धार नहीं होता है।
फिर साधु कहते हैं, के वैश्य अब मैं तुम्हें दूसरे वृक्ष के बारे में बताता हूँ। अशोक का वृक्ष, अशोक के वृक्ष में अप्सराओं का निवास होता है। यह वृक्ष शोक का नाश करने वाला तथा निराशा को समाप्त करने वाला होता है। इस वृक्ष को घर के पास लगाने से घर में सुख शांति बनी रहती है। अशोक का वृक्ष शीतलता और यमन प्रदान करने वाला होता है। माँ लक्ष्मी ने जब देवी सीता के रूप में अवतार लिया था, तब रावण द्वारा अपहरण करने के बाद उनका वास अशोक वाटिका में था। अशोक के वृक्ष ने माँ सीता की बहुत सेवा की थी। इसीलिए माँ सीता ने अशोक वृक्ष को यह वरदान दिया था कि जीस भी स्थान पर यह वृक्ष होगा वहाँ पर उनका सदैव ही निवास होगा। फिर तीसरा आंवले का फल समस्त लोको में प्रसिद्ध और परम पवित्र है। आंवले को लगाने से स्त्री और पुरुष जन्ममृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते है।
यह पवित्र फल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रसन्न करने वाला एवन शुभ माना गया है। इसको खाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आंवला खाने से आयु बढ़ती है, उसका जल पीने से रोगों का नाश होता है और आंवले को जल में मिलाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर हो जाती है और सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। जीस घर में आंवला सदा मौजूद रहता है, उस घर में कभी दैत्य और राक्षस नहीं आते हैं। एकादशी के दिन अगर आंवला मिल जाए तो संसार के सभी तीर्थों से बढ़कर फल प्राप्त होता है। अपने कैश में आंवला लगाने वाला फिर से मृत्यु लोक पर जन्म नहीं लेता है।
जीस घर के सामने आमले का वृक्ष होता है वहाँ पर साक्षात लक्ष्मी नारायण निवास करते हैं। चौथा है पाकड़ का वृक्ष प्रत्येक मनुष्य को पाकर का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। यह वृक्ष लगाने से जो फल मिलता है, वह महायज्ञ के समान होता है। कलयुग में मनुष्य यज्ञ नहीं कर पाएंगे, इसीलिए उन्हें एक पाकड़ का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। पांचवा है। नीम का वृक्ष, नीम का वृक्ष लगाने से सूर्य देव प्रसन्न होते है। नीम का वृक्ष आयु प्रदान करने वाला माना गया है। इसे घर के पास लगाने से नाना प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है। माँ लक्ष्मी को नीम के पत्ते अत्यंत प्रिय होते है, इसीलिए नीम के वृक्ष के पास निवास करती है।
घर के सामने नीम के वृक्ष का रोपण करने से धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। छठा है बेल का वृक्ष, बेल के वृक्ष में भगवान शिव और गुलाब में देवी पार्वती का निवास है। इसीलिए अगर बेल के वृक्ष के पास गुलाब का पौधा लगाया जाए तो शिव पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उस घर में कभी दुख दरिद्रता नहीं आती है, उस घर में कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। और कोई स्त्री विधवा नहीं बनती है। सातवाँ हैं, जामुन का वृक्ष, यदि कोई मनुष्य कन्या प्राप्ति की कामना करता है तो उसे जामुन का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। जीस मनुष्य के घर के सामने जामुन का वृक्ष होता है, उसके घर में कन्या का जन्म होता है जो कुल का गौरव बढ़ाती है। आठवां हैं नारियल का पेड़, नारियल किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का आवश्यक अंग होता है। यह अत्यंत शुभ माना जाता है। घर के आंगन में नारियल का पेड़ होने से उस घर में हमेशा शुभता होती है। और उस घर के सदस्यों का समाज में बहुत मान सम्मान होता है। सुंदर पत्नी की कामना करने वाले मनुष्य को अनार का वृक्ष लगाना चाहिए।
पलाश का पेड़, ब्रह्मा तेज प्रदान करता है इसीलिए इसका रोपण अवश्य करना चाहिए। वंश और संतान प्राप्ति की कामना करने वाले मनुष्य को अंकोल का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। अगर मनुष्य किसी बिमारी से पीड़ित है तो उसे खैर का वृक्ष लगाना चाहिए। खैर, का वृक्ष लगाने से बड़े बड़े रोग नष्ट हो जाते हैं। यह वृक्ष आरोग्य प्रदान करने वाला होता है। कुंद अर्थात मोगरे के पेड़ में गंधर्व निवास करते हैं। इसीलिए इस पौधे का रोपण अपने घर के पास करने से कार्यों में सिद्ध और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। खासकर कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को यह पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
यदि किसी मनुष्य को चोर और लुटेरों का भय सता रहा है तो उसे अपने घर के पास बेंत का वृक्ष जरूर लगाना चाहिए। यह वृक्ष चोर लुटेरों को भयभीत करता है और घर की रक्षा करता है। चंदन और कटहल के वृक्ष पुण्य और लक्ष्मी प्रदान करते हैं। इन वृक्षों का रोपण करने से दुःख, दरिद्रता समाप्त हो जाती है। घर की उत्तर दिशा में पाम और कनक चंपा का पौधा लगाया जाता है तो धन में वृद्धि होती है। केले का पेड़ भी बहुत शुभ होता है और यह घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाता है। केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए घर में केले का पेड़ होने से घर में धन की कमी नहीं होती है।
हर श्रृंगार के पौधे को पारिजात भी कहा जाता है। इस पौधे की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी और माँ लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से ही प्रकट हुई है। इसीलिए पारिजात के पौधे का बहुत अधिक महत्त्व है। यदि इस पौधे को अपने घर पर लगाते हैं तो आपको माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी और घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है।
मनुष्य को कभी भी ताड़ का वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। ताड़ का वृक्ष संतान का नाश करने वाला होता है। जीस घर के पास ताड़ का वृक्ष होता है, उस घर के संतानों की कभी उन्नति नहीं होती है। अगर किसी मनुष्य को शत्रुओं का भय सता रहा है तो उसे केवड़े का वृक्ष लगाना चाहिए। यह शत्रुओं का नाश करने वाला होता है। घर में कभी भी ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए जिनको काटने या तोड़ने पर दूध निकलता हो। घर के सामने कभी भी बबूल का पेड़ नहीं लगाना चाहिए। इसे लगाने से विपत्ति आती है। घर के सामने बेर का वृक्ष भी नहीं लगाना चाहिए। इसे लगाने से नकारात्मकता बढ़ती है और धन का नाश होता है और संकट आते है।
किसी भी मनुष्य को अपने घर के सामने पपीते का वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। इस वृक्ष को लगाने से धन का नाश होता है और दरिद्रता आती है।अगर पीपल का वृक्ष भवन की पूर्व दिशा में होता है तो घर में निर्धनता व्याप्त हो सकती है और वट वृक्ष घर की पश्चिम दिशा में हो तो घर में शोक का काल चिरकाल तक रहता है। दक्षिण दिशा में तुलसी का पौधा हो तो संतान को पीड़ा सहन करनी पड़ती है और किसी भी मृत वृक्ष की छाया घर पर पड़ती है तो यह मृत्यु सूचक होता है। मृत वृक्ष को तुरंत उखाड़ देना चाहिए। फिर वे साधु महात्मा कहते हैं कि, वैश्य इस प्रकार से मैंने तुम्हें इन सभी शुभ और अशुभ वृक्षों के विषय में बता दिया है। तुम इन वृक्षों का रोपण करो और भगवान की कृपा को प्राप्त करो। तब वह सुधीर कहता है कि महात्मा आपने आज मुझे उत्तम ज्ञान दिया है, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ। फिर वे साधु महात्मा सुधीर को आशीर्वाद देकर उस स्थान से अंतर् ध्यान हो जाते हैं।
तब साधु महात्मा को अचानक से अदृश्य हुआ देखकर सुधीर और उसकी पत्नी को आश्चर्य होता है। फिर उन्हें समझ में आ जाता है कि साक्षात भगवान विष्णु ही उनके घर पर आए थे। फिर सुधीर उन साधु महात्मा के कहें अनुसार अपने घर के सामने अनेक शुभ वृक्षों का रोपण करता है। जिससे अचानक ही उसे बहुत सारे धन की प्राप्ति होती है और उसकी दरिद्रता दूर हो जाती है। जिससे सुधीर और उसकी पत्नी भगवान विष्णु का धन्यवाद करने लगते हैं। फिर भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, हे सखा इस प्रकार से मैंने तुम्हें शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के वृक्षों के बारे में बताया है। अब तुम भी जाकर अपने भवन के पास इन वृक्षों का रोपण करो.
तो मित्रो इस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण ने घर के पास लगाए जाने वाले शुभ और अशुभ वृक्षों के बारे में बताया है। तो मित्रो आशा करता हूँ कि आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी।