एक बार की बात है, किसी नदी के किनारे एक शहर बसा हुआ था। एक बार वहां बहुत बारिश हुई, जिससे नदी ने अपना रास्ता बदल लिया। इससे शहर में पानी की कमी होने लगी, यहां तक कि लोगों के लिए पीने तक का पानी न रहा। धीरे-धीरे लोग उस शहर को छोड़कर जाने लगे और एक वक्त आया जब पूरा शहर खाली हो गया और वहां सिर्फ चूहे ही रह गए। चूहों ने वहां अपना राज्य बसा लिया। एक बार वहां की जमीन से पानी का एक स्रोत फूटा और वहां एक बड़ा सा तालाब बन गया।
दूसरी ओर, उस शहर से कुछ ही दूरी पर एक जंगल था, जहां कई जंगली जानवर रहते थे। उन जानवरों के साथ कई हाथी भी वहां रहते थे, जिनका राजा था गजराज नाम का हाथी। एक बार की बात है, वहां भयानक सूखा पड़ा। सभी जानवर पानी के लिए हाहाकार मचाने लगे। भारी-भरकम हाथियों की भी बुरी हालत हो चुकी थी। हाथियों के बच्चे बिना पानी के परेशान होने लगे थे। इतने में गजराज का दोस्त चील वहां आया और उसने खबर दी कि खंडहर बने शहर में एक पानी का तालाब है। यह सुनते ही हाथी अपने बच्चों और बाकी साथियों को लेकर शहर की तरफ चल पड़ा। कई हाथी उस ओर चल पड़े, रास्ते में चूहों का शहर भी पड़ा, उन विशाल हाथियों के पैरों तले कई चूहे दबकर मर गए। इतना ही नहीं हाथी फिर उसी रास्ते से वापस आए और कई और चूहे फिर मारे गए।
ऐसा कई दिनों तक चलता रहा और इस बात की खबर चूहों के राजा मूषकराज तक भी पहुंची। वो इस बात को लेकर बहुत चिंतित हुआ। उसके मंत्रियों ने मूषकराज को कहा, “महाराज आपको जाकर गजराज से इस बारे में बात करनी चाहिए।” उनकी बात सुनकर मूषकराज, गजराज के जंगल उससे बात करने गया। एक बड़े से पेड़ के नीचे गजराज खड़ा था। मूषकराज वहां सामने पड़े एक बड़े से पत्थर पर चढ़ गया और कहने लगा, “गजराज को मेरा नमस्कार! मैं मूषकराज हूं। मैं उस खंडहर बने शहर में अपनी प्रजा के साथ रहता हूं।”
हाथी को मूषकराज की बात ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी। वो थोड़ा नीचे झुका और चूहे की तरफ अपने कान करके बोला, “हे नन्हें प्राणी आप कुछ कह रहे थे, क्या आप फिर से कहेंगे?” यह सुनकर मूषकराज ने फिर से अपनी बात दोहराई, “मैं मूषकराज हूं। मैं उस खंडहर बने शहर में अपनी प्रजा के साथ रहता हूं। आप और आपके अन्य हाथी मित्र जब भी तालाब की ओर जाते हैं, तो कई चूहे आपके पैरों तले दबकर मर जाते हैं। कृपया करके ऐसा न करें वरना बहुत जल्दी हम में से कोई नहीं बचेगा।”
यह सुनने के बाद गजराज दुखी होकर बोला, “मुझे पता ही नहीं था कि हम इतना बुरा कर रहे थे। हम तालाब तक जाने के लिए कोई और रास्ता ढूंढेंगे।”
यह सुनते ही चूहा बहुत खुश हुआ और बोला, “गजराज आपने मुझ जैसे छोटे से प्राणी की बात सुनी, मैं आपका आभारी हूं।” भविष्य में कभी भी अगर आपको किसी मदद की जरूरत हो तो मुझे जरूर बताएं।”
गजराज ने मन में सोचा कि यह इतना छोटा सा जीव मेरे किस काम आएगा। इसलिए, उसने चूहे को मुस्कुराकर विदा किया। कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक बार पड़ोसी देश के राजा ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए हाथी रखने का फैसला किया। राजा के मंत्री और उनकी सेना ने जंगल में कई हाथी पकड़े। हाथियों के पकड़े जाने की चिंता गजराज को सताने लगी। एक रात गजराज इसी चिंता में जंगल में टहल रहा था कि अचानक उसका पैर सूखी पत्तियों में छिपाए जाल पर पड़ा और वो जाल में फंस गया।
हाथी जोर-जोर से चिंघाड़ने लगा, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। इसी बीच एक भैंस ने हाथी की आवाज सुनी, वो गजराज का बहुत आदर-सम्मान करता था, क्योंकि एक बार गजराज ने भैंस को गड्डे से निकालकर उसकी जान बचाई थी। गजराज को जाल में फंसा देख वो बहुत चिंतित हुआ और बोलने लगा, “गजराज मैं आपकी मदद के लिए क्या करूं? अपनी जान देकर भी मैं आपकी मदद करूंगा गजराज।” गजराज ने कहा, “तुम जल्दी से जाकर उस खंडहर शहर में रहने वाले मूषकराज को मेरी खबर दो।” गजराज की बात सुनकर भैंस दौड़ता हुआ मूषकराज के पास गया और उसे सारा हाल बताया।
मूषकराज ने जैसे ही यह बात सुनी वो अपने कई सैनिकों को लेकर भैंस की पीठ पर बैठ गया और गजराज के पास पहुंचा। फिर चूहों ने मिलकर जाल को काटा और गजराज आजाद हो गया।
इसके बाद गजराज ने मूषकराज को धन्यवाद कहा। सभी खुशी-खुशी रहने लगे। गजराज और मूषकराज की दोस्ती भी गहरी हो गई।
गजराज और मूषकराज की कथा कहानी से सीख
कोई भी प्राणी छोटा नहीं होता है, जरूरत होती है तो बस प्यार और विश्वास की। आपसी प्यार हर तरह के दुखों को दूर कर सकता है।